कुम्भ मेला क्यों लगता है

 


कुम्भ मेला एक बहुत बड़ा धार्मिक उत्सव है जो हर 12 साल में भारत में चार प्रमुख स्थानों पर आयोजित होता है: प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। यह मेला हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है।

कुम्भ मेला क्यों लगता है?

कुम्भ मेला हिन्दू धर्म के अनुसार एक पवित्र अवसर है, जो महाशिवरात्रि और अन्य शुभ समयों पर मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य पवित्र नदियों, जैसे गंगा, यमुन, और सरस्वती में स्नान करना है, जिसे आत्मा की शुद्धि और पुण्य प्राप्ति के लिए माना जाता है।

कुम्भ मेला के आयोजन का कारण:

कुम्भ मेला का आयोजन एक पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। यह कथा "सागर मंथन" से संबंधित है, जिसमें देवता और दानव मिलकर अमृत की कुंभ (मटका) प्राप्त करने के लिए मंथन करते हैं। इस मंथन के दौरान कुछ अमृत गिरा था, और उसे चार स्थानों पर गिरने से यह चार कुम्भ मेला स्थान बने। हर 12 साल में इन स्थानों पर यह मेला आयोजित किया जाता है।

कुम्भ मेला का महत्व:

  1. धार्मिक और आत्मिक उन्नति: माना जाता है कि इस अवसर पर नदियों में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  2. विश्वभर से श्रद्धालु: लाखों लोग इस मेले में शामिल होते हैं, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला बन जाता है।
  3. सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजन: कुम्भ मेला सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजन भी है, जहां विभिन्न धर्म, संस्कृति, और समुदायों के लोग एक साथ मिलते हैं।

कुम्भ मेला कैसे होता है?

  • शाही स्नान: कुम्भ मेला के दौरान कुछ विशेष दिन होते हैं जिन्हें "शाही स्नान" कहा जाता है, जब लाखों श्रद्धालु एक साथ नदियों में स्नान करते हैं।
  • सन्यासियों और साधुओं का मिलन: यह मेला संतों, साधुओं और विभिन्न धार्मिक गुरुजनों का मिलन स्थल बनता है, जहाँ वे उपदेश देते हैं और धर्म की बातें साझा करते हैं।

कुम्भ मेला न केवल एक धार्मिक अवसर है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक भी है।

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