रेलवे लाइन बिछाने की लागत कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि भूगोल, जमीन की लागत, सामग्री, तकनीक, और श्रम।
रेलवे लाइन निर्माण की औसत लागत
- सामान्य मैदानी क्षेत्र – ₹5 से ₹10 करोड़ प्रति किलोमीटर
- पहाड़ी या दुर्गम क्षेत्र – ₹10 से ₹20 करोड़ प्रति किलोमीटर
- मेट्रो रेल (एलीवेटेड/अंडरग्राउंड) – ₹200 से ₹500 करोड़ प्रति किलोमीटर
- बुलेट ट्रेन परियोजना – ₹250 से ₹400 करोड़ प्रति किलोमीटर
लागत को प्रभावित करने वाले कारक
- भूमि अधिग्रहण – शहरी क्षेत्रों में अधिक महंगा होता है।
- ब्रिज और टनल – पहाड़ी इलाकों में लागत बढ़ा देते हैं।
- इलेक्ट्रिफिकेशन और सिग्नल सिस्टम – आधुनिक तकनीक अपनाने से लागत बढ़ती है।
- श्रम और मशीनरी – निर्माण क्षेत्र और देश की आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है।
रेलवे लाइन के नीचे पत्थर (जिसे बल्लास्ट कहा जाता है) कई महत्वपूर्ण कारणों से बिछाए जाते हैं।
रेलवे ट्रैक पर पत्थर बिछाने के मुख्य कारण:
- पटरी को स्थिर रखना – ये ट्रैक को हिलने-डुलने से रोकते हैं और मजबूती प्रदान करते हैं।
- झटकों को अवशोषित करना – ट्रेन की गति से उत्पन्न झटकों को कम करते हैं, जिससे ट्रैक और स्लीपर्स सुरक्षित रहते हैं।
- घास और पौधों को उगने से रोकना – अगर ट्रैक पर घास उगेगी, तो यह पानी रोक सकती है और पटरी को कमजोर बना सकती है।
- पानी की निकासी में मदद करना – बारिश या अन्य कारणों से जमा हुआ पानी आसानी से निकल जाता है, जिससे ट्रैक जंग या सड़ने से बचता है।
- घर्षण प्रदान करना – ट्रेन के वजन से ट्रैक हिलने न पाए, इसके लिए ये पत्थर घर्षण उत्पन्न करते हैं।
कैसे चुने जाते हैं ये पत्थर?
- आमतौर पर ग्रेनाइट, बेसाल्ट, या कंकड़नुमा मजबूत पत्थर उपयोग किए जाते हैं।
- ये पत्थर तेज किनारे वाले होते हैं, ताकि वे एक-दूसरे को पकड़कर ट्रैक को मजबूती से जकड़ सकें।
बिना पत्थरों के क्या होगा?
अगर रेलवे ट्रैक के नीचे पत्थर नहीं होंगे, तो
- ट्रैक जल्द ही धीरे-धीरे धंसने लगेगा।
- ट्रेन की गति बढ़ने पर पटरी हिल सकती है, जिससे दुर्घटना हो सकती है।
- जलभराव के कारण लकड़ी या स्टील के स्लीपर खराब हो सकते हैं।
इसलिए, रेलवे ट्रैक के नीचे पत्थर बिछाना बेहद जरूरी होता है! 🚆🛤
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