शुतुरमुर्ग (Ostrich) पत्थर क्यों खाता है?
शुतुरमुर्ग दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी है, लेकिन यह उड़ नहीं सकता। यह अपने अनोखे व्यवहारों के लिए जाना जाता है। पत्थर खाने का कारण उसके पाचन तंत्र से जुड़ा हुआ है।
पत्थर खाने का कारण:
शुतुरमुर्ग के पास दांत नहीं होते, जिससे वह अपने भोजन (जैसे घास, बीज, फल और छोटे कीड़े) को चबा नहीं सकता। ऐसे में उसे भोजन को पचाने के लिए मदद की जरूरत होती है। शुतुरमुर्ग छोटे-छोटे पत्थर (जिसे गेस्ट्रोलिथ्स कहते हैं) खाता है। ये पत्थर उसके पेट के अंदर जाकर भोजन को छोटे टुकड़ों में तोड़ने में मदद करते हैं।
पाचन प्रक्रिया:
- खाना निगलना: शुतुरमुर्ग अपने भोजन को बिना चबाए निगल लेता है।
- गिजार्ड (पाचन थैली): शुतुरमुर्ग का गिजार्ड नामक अंग इन पत्थरों का उपयोग करके भोजन को पीसता है।
- आसान पाचन: पत्थरों की मदद से खाना छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाता है, जिससे शुतुरमुर्ग इसे आसानी से पचा सकता है।
पत्थर खाना सामान्य है:
यह व्यवहार केवल शुतुरमुर्ग में ही नहीं, बल्कि कई पक्षियों (जैसे मुर्गी और कबूतर) में भी देखा जाता है। यह उनके लिए प्राकृतिक प्रक्रिया है और उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाती।
मज़ेदार तथ्य:
- शुतुरमुर्ग एक बार में 1-2 किलो तक पत्थर खा सकता है।
- यह 70 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है, जो इसे सबसे तेज दौड़ने वाला पक्षी बनाता है।
निष्कर्ष:
शुतुरमुर्ग पत्थर इसलिए खाता है क्योंकि यह उसके पाचन तंत्र के लिए जरूरी है। ये पत्थर उसके भोजन को पचाने में मदद करते हैं और यह उसकी प्राकृतिक जीवनशैली का हिस्सा है।